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सुसाइड से जुड़े कारण और समस्याओं को समझे और चेतावनी के संकेतों को पहचाने।
सुसाइड इस समय भारत के 15-29 वर्षीय युवाओं मेें मृत्यु का मुख्य कारण है। इसके बावजूद, इसे रोका जा सकता है और, उचित कौशलोों के साथ, कोई भी रोकथाम के प्रयास मेें शामिल हो सकता है, जि ससे किसी की ज़़ि िंदगी का रास्ता बदल सकता है। गलत सूचना, कलंक और सहायता सेवाओं के बारे मेें जानकारी की कमी कुछ ऐसी बड़़ी बाधाएं हैैं जिनकी वजह से युवा समय पर मदद और देख-रेख तक नहीं पहुुंच पाते। सुसाइड और इसे बेहतर तरीके से रोकने के बारे मेें खुलकर बातचीत करने के लिए मंचों का निर््ममाण करना, रोकथाम की दिशा मेें एक महत्वपूर््ण पहला कदम है।
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खुद अपनी ज़़ििंदगी को ख़त्म करने की क्रिया को सुसाइड कहते हैैं। सुसाइडल आइडिएशन का मतलब है अपनी ज़़ििंदगी ख़त्म करने के बारे मेें विचार आना या सुसाइड करने के ख़़ास तरीकों के बारे मेें सोचना, या अपनी जान लेने के मकसद से स्पष्ट योजना बनाना। किसी व्यक्ति को अपनी ज़़ििंदगी ख़त्म करने के विचार आ सकते हैैं या भावनाएं महसूस हो सकती है, वो भी बिना इस दिशा मेें कोई ठोस कदम लिए। हर एक व्यक्ति का सुसाइड की भावनाओ ं से जुड़़ा अनुभव अलग होता है। यदि आप भावनात्मक दर््द या तकलीफ महसूस कर रहे हैैं, आपको सुसाइड ही इससे बचने का एकमात्र तरीका लग सकता है। यह भावनाएं स्थायी नहीं होती हैैं। स्थिति बेहतर हो सकती है, और आपको फिर से जीने की प्रेरणा मिल सकती है।
याद रखेें कि आप अकेले नहीीं हैैं, और सहायता उपलब्ध है!
चेतावनी संकेत वो लक्षण होते हैैं जो बताते हैैं कि किसी को सुसाइड का जोखिम है (तुरंत या निकट भविष्य मेें)। बहुत सारी सुसाइड की घटनाओं से पहले चेतावनी संकेत देखे गए हैैं, चाहे वो बोल कर दिखाए गए हों या व्यवहार के ज़रिए ।
चेतावनी संकेतोों को सीखना और उन्हहें देख कर सावधान रहना महत्वपूर््ण है। इससे किसी की जान बच सकती है - आपकी या किसी और की।
सुसाइड का ख़याल किसी को भी आ सकता है, चाहे वो किसी भी उम्र, जेेंडर, या बैकग्राउंड के हों। सुसाइड क््योों होता है, यह बताने के लिए अधिकतर देखा गया है कि सिर्फ़ एक कारण (उदाहरण के लिए, परीक्षा मेें फेल होना) पर््ययाप्त नहीं होता। एक व्यक्ति अपनी सुसाइड की भावनाओं पर तब कदम उठता है जब कई तनावपूर््ण परिस्थितियां या कारण मिलकर निराशा या बेबसी का माहौल बना देते हैैं। लेकिन, ऐसी कुछ परिस्थितियां हैैं जो किसी व्यक्ति को सुसाइड की कोशिश करने के अधिक जोखिम मेें डाल सकती हैैं। इनमेें शामिल हैैं:
यह भावना कितनी देर तक रहेगी, यह हर व्यक्ति के लिए अलग अनुभव होता है। हालांकि, ये विचार वापस आ सकते हैैं, वे स्थायी नहीं है और बाद मेें चले जाते हैैं। समर््थन और सहायता से, कोई भी आगे जाकर एक भरी-पूरी ज़़ििंदगी जी सकता है। सुसाइड से जुड़़ी इन भावनाओं की जितनी जल्दी पहचान हो सके, उतनी जल्दी वो इन भावनाओं से उभरने के लिए मदद पा सकेें गे।
आपातकालीन (इमरजेेंसी) स्थिति मेें:
सुसाइड संकट हेल्पलाइन पर संपर््क करेें
यदि आपको सुसाइड के विच ार आ रहे हैैं लेकिन आप संकट मेें नहीीं हैैं, आपके लिए नि म्नलिखित वि कल्प (ऑप््शन्स) उपलब्ध हैैं:
सहायता हेल्पलाइन पर कॉल करेें: जब आपको ज़रूरत हो तब, जानकारी और मदद पान े के लिए टेलीफोन-आधारित काउंसलिगं सवे ाओ ं का उपयोग करना एक सुरक्षित तरीका हैैं। आप यदि पहचान के लोगों के सामने खुलकर बात नहीं कर पा रहे या आमने-सामने बात नहीं कर सकते, तब टेलीफोन पर किसी से बात करके भी मदद मिल सकती है।
मानसि क स्वास्थ्य वि शेषज्ञ के साथ अपॉइंटमेेंट लेें, जैसे कि साइकोलोजि स्ट या काउंसलर वे आपको यह समझने मेें मदद कर सकते हैैं कि आप सुसाइड की भावनाओं को क््योों महसूस कर रहे हैैं। साथ ही, वे यह भी बताएंगे कि इनका सामना करने और इन्हहें सुलझाने मेें आप खुद अपनी सहायता कैसे कर सकते हैैं।
अपने स्था नीय डॉक्टर/जनरल प्रैक्टिशनर से मिले ें: वे आपकी बात सुनेेंगे और अगले कदम लेने मेें मदद करेेंगे। यदि आवश्यकता हो तब व े लक्षणो ंको कम करन े के लिए आपको दवा भी सकते हैैं, और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ को रेफर कर सकते हैैं।
पीयर सपोर््ट ग्रुप से संपर््क करेें: यह एक और ऐसी जगह है जहां आपको अपने विचार शेयर करने का मौका मिलेगा। आप यहां उन लोगों से नई सलाह भी ले सकते हैैं जो खुद आपके जैसे अनुभवों से गुज़र रहे हैैं। इससे आपको कम अकेलापन महसूस होगा।
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